कुत्तों से बच के रहना

तहसीलदार साहब के चैंबर में भुनभुनाता हुआ एक 45 वर्षीय नेता जैसा दिखने की एक्टिंग करते हुए व्यक्ति आया, आते ही कहने लगा

“मेरे गांव के मनोहर का गरीबी रेखा का कार्ड अब तक नहीं बना,मैने मंत्रीजी से भी फोन लगवाया था,फिर भी आपका पटवारी तमीज से बात नहीं करता,लगता है मुझे कुछ और इंतजाम ढूंढना पड़ेगा”

वैसे तो तहसीलदार साहब ऐसे ऐरे गैरे नेताओं के मुंह नहीं लगते थे लेकिन उस समय वह थोड़े परेशान चल रहे थे,परेशानी की पहली वजह तो यह थी कि राज्य में ईमानदार सरकार थी जिसने ट्रांसफर की कीमत 50 हजार से बढ़ाकर 3 लाख कर दी थी और दूसरी वजह यह भी थी कि कुछ महीनों में चुनाव थे तो उन्हें लगा चुनाव के बाद बेईमान सरकार आयेगी जिससे 50 हजार देकर मनमाफिक पोस्टिंग ले लूंगा इसलिए वह इस समय कोई बहस या किसी नेता के मुंह लगकर विवाद नहीं बढ़ाना चाहते थे।

उन्होंने इतमीनान से उस मूर्ख नेता को सुना, उसे इज्जत देने का दिखावा भी किया और कुछ ही देर में उसे BPL कार्ड बनवाने का वादा कर विदा कर दिया।

मैं यह सब देख रहा था, मैं तहसीलदार साहब के साथ डाइस पर बैठकर न्यायालयीन प्रकरण में बयान दर्ज कर रह था,इसीलिए उस घटना को चुपचाप देखता रहा,उसके जाने के बाद मैने पूछा “सर आज आपने इसे भगाया नहीं क्या बात है?”

वह बोले “देख भाई मुझे अब एक बात अच्छे से समझ में आगई”

“वह क्या?” मैं जिज्ञासा से पूछने लगा

“कुत्तों से दूर रहने में ही भलाई है, यदि यह आपके विरोधी हैं तो आपको काट सकते हैं और यदि आपके दोस्त हैं तो आपको चाट सकते हैं, दोनों ही मामले में कुत्ते आपको बीमार करेंगे, इसलिए इनसे दूसरी बनाने में ही भलाई है”

मनीष भार्गव

#कचहरीनामा

#बेरंगलिफाफे

यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति के संदर्भ में है इसे किसी अन्य व्यक्ति या घटना या किसी नेता से न जोड़ें